महली भारतीय राज्य झारखंड और पश्चिम बंगाल में एक अनुसूचित जनजाति हैं। ये झारखंड में सिंहभूम , राँची ,गुमला , सिमडेगा , लोहरदगा ,हजारीबाग ,बोकारो ,धनबाद ,एवं संथाल परगना में बसे हुए हैं। यह जनजाति द्रविड़ प्रजाति से संबंधित हैं।
इस जनजाति की पाँच उपजातियाँ हैं -
इस जनजाति के प्रमुख गोत्र हैं -चारघगीया चारबेर , ढिलीया ,डुमरियार/ डुंगरी, गुंदली , हाँसदा , हेम्ब्रम, खंगार , खैरियर, कटरगाछ ,केरकेट्टा , मारी ,मुरुमर ,टोपवार ,तिरकी आदी। महली मुख्यता बांस श्रमिकों के रूप में काम करते हैं।
संस्कृति
उनके देवता सुरजही (सौर देवता) हैं। अन्य देवता बार पहाड़ी (पर्वत देवता) और मनसा देवी हैं। उनके त्योहार बंगड़ी, हरियाड़ी और नवाखानी आदि हैं।
इस जनजाति की पाँच उपजातियाँ हैं -
- बाँसफोर माहली (बांस से सामान तैयार करने वाले )
- पाटार माहली(खेतिहार )
- सुलांकी माहली (मजदूर )
- तांती माहली (पालकी ढोने वाले ) एवं
- महली मुण्डा
इस जनजाति के प्रमुख गोत्र हैं -चारघगीया चारबेर , ढिलीया ,डुमरियार/ डुंगरी, गुंदली , हाँसदा , हेम्ब्रम, खंगार , खैरियर, कटरगाछ ,केरकेट्टा , मारी ,मुरुमर ,टोपवार ,तिरकी आदी। महली मुख्यता बांस श्रमिकों के रूप में काम करते हैं।
संस्कृति
उनके देवता सुरजही (सौर देवता) हैं। अन्य देवता बार पहाड़ी (पर्वत देवता) और मनसा देवी हैं। उनके त्योहार बंगड़ी, हरियाड़ी और नवाखानी आदि हैं।
Great attitude
जवाब देंहटाएं