आदिवासी हिन्दू नहीं है
आदिवासी हिन्दू नहीं हैं,क्यों की आदिवासियों की अपनी अलग संस्कृति है।
आदिवासी प्राकृति पूजक होते हैं और ये पेड़ -पौधे ,जंगल-पहाड़ ,और पशु-पछियों की उपासना करते हैं। आदिवासी मूर्ति पूजा नहीं करते हैं।आदिवासियों की गीत-संगीत ,नृत्य ,रीती -रिवाज आदि हिन्दुवों से पृथक होते हैं , पता नहीं फिर भी कुछ शक्तियाँ आदिवासियों को हिन्दू किस लिए बनाना चाहती हें । ये वही स्थिति हे जब अंग्रेज थे ,तो उनहोंने भी आदिवासियों को ईशाई बनाने का प्रयास किया था और बनाया भी था। परन्तु अब आदिवासी अपना धर्म बचाने के लिए संघठित हो रहे हैं ,और भारत सरकार से 2021में होने वाले जनगणना में अलग धर्म कोड की मांग कर रहे हैं।
भारत में 1871 से लेकर 1941तक हुयी जानगणनाओं में आदिवासियों को अलग धर्म में गिना गया। परन्तु आजादी के बाद, 1951 में हुए जनगणना से अलग से गिनना बंद कर दिया गया।
आदिवासी प्राकृति पूजक होते हैं और ये पेड़ -पौधे ,जंगल-पहाड़ ,और पशु-पछियों की उपासना करते हैं। आदिवासी मूर्ति पूजा नहीं करते हैं।आदिवासियों की गीत-संगीत ,नृत्य ,रीती -रिवाज आदि हिन्दुवों से पृथक होते हैं , पता नहीं फिर भी कुछ शक्तियाँ आदिवासियों को हिन्दू किस लिए बनाना चाहती हें । ये वही स्थिति हे जब अंग्रेज थे ,तो उनहोंने भी आदिवासियों को ईशाई बनाने का प्रयास किया था और बनाया भी था। परन्तु अब आदिवासी अपना धर्म बचाने के लिए संघठित हो रहे हैं ,और भारत सरकार से 2021में होने वाले जनगणना में अलग धर्म कोड की मांग कर रहे हैं।
भारत में 1871 से लेकर 1941तक हुयी जानगणनाओं में आदिवासियों को अलग धर्म में गिना गया। परन्तु आजादी के बाद, 1951 में हुए जनगणना से अलग से गिनना बंद कर दिया गया।
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें