SANTHAL TRIBES(संथाल जनजाति)
संथाल(संताल ) झारखण्ड की सबसे बड़ी आबादी वाली जनजाति हैं। संथालों के अनुसार इसकी उत्पत्ति पिलचू हाड़ाम और पिलचू बुढ़ी देव लोगों से हुआ हैं । इन देव-दम्पति से ही दुनिया में होड़ ,खेरवाल और संथाल नाम से लोग फैल गये । संथाल जनजाति भारत के अलावे नेपाल ,बांग्ला देश भूटान में भी फैली हुई हैं । भारत में इनका फैलाव झारखण्ड ,बिहार ,ओडिशा ,पश्चिम बंगाल ,छत्तीसगढ़, असम और नागालैंड में बहुतायत में हैं।विकास के क्रम में अब संथाल दूसरे राज्यों में भी बस रहे हैं ।
जीविका
संथाल मुख्यता कृषि से जुड़े हुए लोग होते हैं । खेती ही इनका जीवन-यापन का मुख्य साधन हुआ करता था।खेती के साथ-साथ ये लोग गाय -बैल ,बकरी ,भेड़,सुवर ,बतख और मुर्गा पालन भी करते हैं । इसके अलावे ये लोग जंगल से कंद-मूल ,सेंदरा (शिकार )और नदियों से मछली मारने में भी उस्ताद होते हैं। विकास के क्रम में अब संथाल पढ़-लिख कर बड़े पोस्टों में विराजमान हो रहें हैं,और राजनीति में भी बहुत अच्छा काम कर रहे हैं ।संथाल लोग अब बड़े-बड़े व्यवसाय भी खड़े कर चुके हैं।
धर्म
संथाल मुख्यता: सरना धर्म को मानने वाले होते हैं , ये प्राकृतिक उपासक के साथ-साथ सूर्य ,चाँद धरती ,नदी और पहाड़ के भी उपासक होते हैं। इनके पूजा स्थल को जाहेर थान कहा जाता हैं। ये मारांग बुरु ,जाहेर आयो ,गोसांड़े ,मोड़ेको ,तुरुईको , लिटा आर हापड़ाम (पूर्वज ) की पूजा करते हैं।
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